“नारी का जन्म मिला, इस वजह से नाराज होने का कारण नहीं है। शायद ईश्वर की मर्जी थी। नारी का जन्म ऐसा ही होता है। लगता है सारे विवादों में धोपकर ऐसा किया होगा।” ऐसा पिताजी द्वारा कहा जाता था। औरतोंको संघर्ष करते सदिया बित गयी!कई साल पहले ,1973 में, एक जीवनी में, तब सौं कांबले नाम की औरत ने अपने जीवन की हकीकत, कहानी, जीवनी बताई थीl पढ़ाई करना लड़कियों के लिए बहुत मुश्किल था। कांबळे मैडम ने खाली पेट पानी पीकर,भोर भये उठकर, कष्टसे पढ़ाई पूरी की थी।
जमाना तो बदलता ही है, और मैं अब 2024 में मेरे बारे में बता रही हूँ। स्वाभाविक है कि आप सोचेंगे कि मेरी कहानी कुछ निराली होगी, है ना? मगर मनुष्य मात्र की प्रवृत्ति वैसी ही होती है। बस बाहरी दिखावा, जीवनी बदलती रहती है। विज्ञान, तंत्रज्ञान, पर्यावरण, वातावरण और गैजेट सबकुछ में परिवर्तन आया, लेकिन नारी के जन्म की सच्चाई बदल गई हैं क्या?