विनोद पाराशर - (15 September 2020)सुंदर आलेख! ऐसी बहुत से वीर सपूत व् सुपुत्रिया हैं,जिनकी गौरव गाथा अभी तक इतिहास में दर्ज नहीं हो सकी। टीलू को यह सम्मान आपने दिलवाया है।बधाई!
भारत का कोई भी भूभाग ऐसा नहीं है जहाँ कोई बलिदानी न हुआ हो। आवश्यकता है तो बस उन्हें जानने-पहचानने की। हालांकि कोई भी बलिदानी यह सोचकर काम नहीं करता कि आनेवाली पीढि़याँ उसे जाने-समझें परन्तु उन बलिदानियों के कार्य ही ऐसे होते हैं कि समय की गर्द भी उनके नाम धुंधले नहीं कर सकती। ऐसा ही एक नाम उत्तराखण्ड के इतिहास में तीलू रौतेली का भी है। आइए आज इस ओजस्वी महिला के विषय में कुछ जानते हैं जो मैंने जाना-समझा।