मैं हिमाद्री समर्थ जयपुर राजस्थान से हूं ।ख्वाहिशों के समंदर , ख्वाहिशों की धारा में एहसास दिल के, मन के अल्फ़ाज़, अल्फ़ाज़ के कारवां काव्य संग्रह और नया जन्म उपन्यास मेरी एकल प्रकाशित पुस्तकें हैं। इसके साथ ही अनेक सांझा संकलन एवं पत्र पत्रकारिता में भी समय समय पर मेरी रचनाएं...More
मैं हिमाद्री समर्थ जयपुर राजस्थान से हूं ।ख्वाहिशों के समंदर , ख्वाहिशों की धारा में एहसास दिल के, मन के अल्फ़ाज़, अल्फ़ाज़ के कारवां काव्य संग्रह और नया जन्म उपन्यास मेरी एकल प्रकाशित पुस्तकें हैं। इसके साथ ही अनेक सांझा संकलन एवं पत्र पत्रकारिता में भी समय समय पर मेरी रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं।
Book Summary
सृष्टि का निर्माण और इंसान का निरंतर प्रगति की ओर निर्माण कार्य में अग्रसर रहना,यही है सृष्टि का सिद्धांत। जिसपर चलकर मानव अपने जीवन की अभिलाषाओं की पूर्ति करने की कोशिश कर जीवन को सार्थक बनाता है।
यूं तो इंसान ताउम्र स्वयं का #निर्माण कार्य ही करता रहता है ,इसे स्वयं को तराशना भी कह सकते हैं।
लेख के प्रेरणा स्त्रोत- दशरथ मांझी
(C) हिमाद्री 'समर्थ'
जयपुर राजस्थान