Kiran Kumar Pandey - (18 December 2024)पशुओं के हितों को ध्यान में रखकर एक लेख मैंने भी लिखा है अथ, "प्रधान सेवक या आवारा पशु ?" लेकिन बहुत ही सराहनीय, प्रशंसनीय एवं विचारणीय लेख लिखा है आपने ! सबसे पहले मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि, कथनी और करनी एक नहीं होने से जीवन के किसी भी क्षेत्र में कुछ भी उपलब्धि हासिल नहीं हो सकती ! लेख में ढ़ेरों जानकारी साझा की गई हैं जो नि: संदेह काफी समय और ऊर्जा के संयोजन से संभव हो सका है ! एक पाठक के तौर पर मैं आपका बड़ा आभारी हूं ! धन्यवाद !