सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स ने शहरी भारत में संबंधों की गतिशीलता को बदल दिया है। सोशल मीडिया और प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से पति-पत्नी के बीच विश्वास संबंधी समस्याएं, ईर्ष्या और गलतफहमियां पैदा हो रही हैं। व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए जिस तेजी से लोगों के बीच अंतरंगता बढ़ी है। उसी तेजी से सोशल मीडिया प्लेटफार्म विवाह विच्छेद और तलाक की वजह भी बन रहे हैं। स्थिति यह है कि महानगरों में डिवोर्स के हर 10 प्रकरण में से 4 की वजह सोशल मीडिया के कारण पति-पत्नी की अन्य लोगों से बढ़ी अंतरंगता और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हैं। पति-पत्नी के बीच अप्रभावी संचार से गलतफहमियाँ, अनसुलझे झगड़े और भावनात्मक दूरियाँ पैदा हो सकती हैं, जो अंततः वैवाहिक टूटने का कारण बन सकती हैं। जनम-जनम के रिश्तों में दूरियां और कड़वाहट पैदा कर रहा सोशल मीडिया, रोक-टोक मियां और बीवी को मंजूर नहीं है। उच्च तनाव वाली शहरी जीवनशैली ने मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों में योगदान दिया है, जिससे वैवाहिक स्थिरता पूर्ण जीवन प्रभावित हुआ है। इंडियन साइकाइट्री सोसाइटी सहित अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में पहले की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो पारिवारिक गतिशीलता को प्रभावित कर रही है।