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शाम कि धुंधली सी दुनिया

शाम कि धुंधली सी दुनिया


Kashiram Kharde Kashiram Kharde

Summary

शाम की थरथराट की आवाज़ चाँद की दहलीज तक आकर रोशनी देकर चली जाती है और दिनभर की यादों का कारवां मन में घूमता रहता है... शाम विचलित हो उठती...More
Reminiscent Article & Essay
Shridhar Bedekar - (16 August 2024) 5
बहुत सटीक ,सुंदर लिखा है 👍🙏

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वर्षा मेंढे - (15 May 2024) 5
बहुत ही खुबसुरत सी शाम

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sanjeevani bargal - (14 May 2024) 5
अप्रतिम

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अलका माईणकर - (14 May 2024) 5
बेहद खुबसुरत..कृष्णांकित पल,अंधेरे का वस्त्र पहनी शाम..तुलसी के पास पवित्र प्रकाश...वाह्ह..

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रतन चंद 'रत्नेश' - (09 May 2024) 5
अद्भुत लेखन।

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कवी, लेखक, कादंबरीकार, चित्रकार, पत्रकार, संपादक

Publish Date : 06 May 2024

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