"मैं राष्ट्रभक्त हूं और आजीवन राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा !" ---किरण कुमार पाण्डेय
Book Summary
पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारत माता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गर्व से ऊंचा कर सकें ! मालवीय जी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे ! इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे ! वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे ! एक भारतीय होने के नाते महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी के बारे में कुछ लिखकर, बोलकर अथवा सुनकर मुझे गर्व की अनुभूति होती है !