"मैं राष्ट्रभक्त हूं और आजीवन राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा !" ---किरण कुमार पाण्डेय
Book Summary
"हे हर हार आहार सुत, विनय करूं कर जोरी !
बैरी पति के सुतन को, आनि मिलावहुं मोहि !!"
अर्थात - "हे हनुमान ! आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि आप श्रीराम जी को यहां ले आकर मुझसे मिलवाइए !"
साधुवाद !