Manoj Mistry - (24 April 2025)बेहतरीन, बहुत ही सुंदर हैं किताबों की दुनियाँ!
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Mrudula Kulkarni - (23 April 2025)किताबों का अथाह गहरा सागर और लहरों के संग बहती कागज की कश्ती एक एक मोती की तलाश में चलनेवाली.. कितना भावभीना अहसास है यह! ऋचा जी,सभी विशेषणों से परे है यह रचना..
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Onkarlal Patle - (23 April 2025)अप्रतिम ! किताबों की दुनिया का बहुत सुंदर और सही एहसास कराने में आप सौ प्रतिशत सफल रहीं हैं।