"मैं राष्ट्रभक्त हूं और आजीवन राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा !" ---किरण कुमार पाण्डेय
Book Summary
कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हलधर नाग जी का जन्म सन १९५० में ओडिशा के बारगढ़ ज़िले में एक ग़रीब परिवार में हुआ था ! महज़ दस वर्ष की आयु में इनके माता-पिता का देहांत होने के बाद इन्होंने तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी और अनाथ की ज़िंदगी जीते हुए एक ढाबे में जूठे बर्तन साफ़ कर कई वर्ष गुज़ारे ! इसके बाद हलधर नाग ने सोलह साल तक एक स्थानीय स्कूल में बावर्ची के रूप में काम किया ! कुछ वर्ष बाद उन्होंने बैंक से एक हजार रुपये क़र्ज़ लेकर स्कूल के सामने ही कॉपी, किताब, पेन और पेंसिल्वेनिया आदि की एक छोटी सी दुकान खोल ली जिससे कई वर्षों तक अपना जीवन यापन करते रहे ! इसी दौरान वे कुछ न कुछ लिखते भी रहे ! हलधर नाग की सबसे ख़ास बात ये है कि उन्होंने आज तक २० महाकाव्य के अलावा जितनी भी कविताएं लिखी हैं वो सभी उन्हें ज़ुबानी याद हैं !