Onkarlal Patle - (17 August 2025)बहुत सुंदर ऋचा जी! देशभक्ति का सटीक चित्रण किया है आपने!
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Mrudula Kulkarni - (16 August 2025)ऋचा जी,देशभक्ति आंतरिक ऊर्मि है..भारतमाता अपनी सभी संतांनों में जन्मजात आशीर्वादस्वरूप यह ऊर्मि भर देती है..ताई तो तिरंगे को देखते ही सीना अभिमान से फूल उठता है..इस भूमि का हर कोई देशभक्त है..हर पल..हर क्षण..कोई संदेह की गूँजाइश ही नहीं रहती..देशभक्ति प्रदर्शन की नहीं, अनुभूति की भावना है.. आपने इतने अच्छे विचार प्रस्तुत किए हैं कि मैं भी इतना कुछ व्यक्त करने पर उद्युक्त हुई..बहुत बहुत अभिनंदनीय लेखन..
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Reeta Khare - (15 August 2025)बहुत सटीक लेखन आपका 👌सच है यदि भारतीय संस्कृति, पहनावे, भोजन, को ही प्राथमिकता पर रखना भी देश भक्ति ही है। मात्रा एक दिन देशभक्ति दिखाना मायने नही रखती । हार्दिक शुभकामनाएं आपको रुचाजी♥️🙏💐
मैं कोई लेखिका या कवियित्री नही।इस खूबसूरत दुनिया की खूबसूरत बातें, कुछ किस्से कुछ यादें अपने शब्दों में पिरोने की एक ईमानदार कोशिश करती हूँ....
Book Summary
अब कुछ लोग ऐसे भी होंगे, जो यह भी कहेंगे कि केवल १५ अगस्त के दिन ही भारतीयों के मन में देशभक्ति का सागर हिलोरें भरता है। बस उसी दिन सबको देश की याद आती है! और दिखावा तो ऐसा कि बस पूछिए मत! तिरंगे के साथ सेल्फी, सोशल मीडिया पर फोटो.. १५ अगस्त के दिन तो देशभक्ति की बाढ़ ही आ जाती है!
लेकिन बताइए भला, कि दिवाली के दिन यदि दिये जला दिए तो क्या साल के बाकि दिनों में दिये की रोशनी कम हो जाती है?
होली के दिन रंग-गुलाल बिखेर दिया तो क्या रोज़ की ज़िंदगी में रंग फीके पड़ जाते हैं?