शहर की जगमगाती ऊँची इमारतों के बीच, एक प्रेमकहानी शुरू होती है – रोहन और प्रिया की। मोमबत्तियों की रोशनी में सजी तीसरी सालगिरह की रात, सपनों जैसी रोमांटिक लग रही थी। लेकिन जब प्रेम और चाहत अपने चरम पर पहुँचते हैं, तभी परछाइयाँ अपने असली रूप दिखाती हैं। प्यार, जुनून और रहस्य से भरी यह कहानी एक ऐसे सच को उजागर करती है, जो सब कुछ बदल देता है।
क्या रोहन सचमुच वही है, जो प्रिया समझती थी?
या फिर उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा झूठ?
पढ़िए सौरदीप अधिकारी का लिखा हुआ ‘अधूरी परछाई’ – एक प्रेम, रोमांच और मनोवैज्ञानिक रहस्य की गाथा।