किरण कुमार पाण्डेय के के - (19 October 2025)अपने अस्तित्व को तलाशती मंजिरी की कहानी मर्मस्पर्शी लगी ! ज्यादा कुछ नहीं, मानव समाज को महिलाओं के बारे में नए सिरे से सोचने की जरूरत है ! धन्यवाद 🙏🙏💐💐
"मैं पुकार हुँ अनंत की,पतझड़के ह्रदय में सोए वसन्त की"
Book Summary
"बलिदान" एक ऐसी स्त्री की कहानी है जिसने अपने जीवन का हर क्षण दूसरों के लिए जिया — बचपन की गरीबी, अधूरी पढ़ाई, बहन की शादी के लिए किए गए त्याग, और फिर एक ऐसे विवाह की परिणति जहाँ उसे संतान न होने का ताना झेलना पड़ा। उसने एक बेटे को गोद लिया, पर नियति ने यहाँ भी उसके साथ छल किया — वही बेटा उसकी दुनिया उजाड़ गया। जीवन के अंतिम पड़ाव में जब वह अपनी बहन के घर रहने लगी, तब भी उसने हर काम कर्तव्य की तरह किया, ताकि किसी पर बोझ न बने। लेकिन क्या कोई स्त्री सिर्फ दूसरों के लिए जीने के लिए ही जन्म लेती है?
यह कहानी हर उस महिला की है जिसने समाज की अपेक्षाओं के नीचे अपने अस्तित्व को दबा दिया — और फिर भी मुस्कुराती रही।