Snehmanjari Bhagwat - (11 December 2020)पढ़कर प्रसन्नता हुई किरण जी जैसे कुछ लोग तो हैं जिन्हें हिन्दी से इतना लगाव है।मुझे भी हिन्दी की दुर्दशा देखकर बहुत बुरा लगता है।
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विनोद पाराशर - (01 October 2020)भारतीय जी डॉ किरण वालिया जी के कृतित्व व व्यक्तिगत में बारे में जानकर प्रसन्नता हुई।उनका जीवन भी काफी संघर्ष पूर्ण रहा।उक्त लेख में मुझे लगता है यह तथ्य ठीक नहीं है कि 'हिंदी' हमारी राष्ट्रभाषा है।मेरी जानकारी के अनुसार,संवैधानिक रूप से अभी तक हिंदी ही नहीं,किसी भी भारतीय भाषा को'राष्ट्रभाषा' का गौरव प्राप्त नहीं है।
जन्म : 17 जनवरी, 1952
शिक्षा : एम ए हिंदी , बी एड । प्रभाकर में स्वर्ण पदक ।
प्रकाशन एवं लेखन : छह कथा संग्रह । चार लघुकथा संग्रह । एक इंटरव्यूज की पुस्तक : यादों की धरोहर । प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कथा संग्रह एक संवाददाता की डायरी पुरस्कृत । पंजाब के भाषा विभाग से कथा संग्रह: महक से ऊपर...More
जन्म : 17 जनवरी, 1952
शिक्षा : एम ए हिंदी , बी एड । प्रभाकर में स्वर्ण पदक ।
प्रकाशन एवं लेखन : छह कथा संग्रह । चार लघुकथा संग्रह । एक इंटरव्यूज की पुस्तक : यादों की धरोहर । प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कथा संग्रह एक संवाददाता की डायरी पुरस्कृत । पंजाब के भाषा विभाग से कथा संग्रह: महक से ऊपर सर्वोत्तम कथा कृति के रूप में पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार सहित अनेक सम्मान ।
कथा समय का संपादन । हरियाणा ग्रंथ अकादमी का उपाध्यक्ष रहा तीन वर्ष ।
सम्प्रति : नभछोर सांध्य दैनिक का अवैतनिक संपादन ।
Book Summary
राष्ट्रभाषा का गौरव कम देख कर दिल रोता है : डाॅ किरण वालिया