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माँ अँधेरा ढोती थी

माँ अँधेरा ढोती थी


Satish Sardana Satish Sardana

Summary

एक काला वरका जो मैंने बीच से फाड़ दिया था उसकी इबारत न उसने पूछी न मैंने कही डर था कि दोस्त न खो जाए हय दोस्त न खो जाए! हालांकि उसकी...More
Poetry collection

Publish Date : 30 Apr 2020

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Chapter : 33


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