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मातृ-स्नेह का सैलाब

Summary

लिखना चाहा जब भी तुझ पर, ये कलम सदा लड़खड़ाई माँ, ये रुक जाती लिखते-लिखते, ये पकड़ न मेरे आई माँ। लिखना था बहुत तेरी हस्ती पर, पर इतना ही लिख...More
Poetry collection

Publish Date : 17 May 2020

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Chapter : 51


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