यथार्थ की मिट्टी में ठीकठाक अनुभूति और कल्पना मिलाकर कुछ अपने मन की कुछ आपके मन की छन्न से कह दूँ तो कुछ बात बनें .......
Book Summary
आज के मैटलिक वर्ल्ड में जो कुछ भी जानदार दिख रहा है वह सिर्फ़ पैसा है। इसके अलावा सब कुछ दोयम दर्जे का । साहित्य में लघुकथा विधा का जन्म शायद इसी लिए हुआ होगा कि समाज में व्याप्त विसंगतियों पर सीधे-सीधे प्रहार किया जा सके । इस भेड़ चाल वाले समय में भी कुछ शेर सरीखे बचे हुए हैं इसीलिए बची हुई है संस्कृति हमारी ,तुम्हारी और सबकी ।