आखर आखर रेत

आखर आखर रेत


कुमार अविनाश केसर कुमार अविनाश केसर

Summary

 मस्तिष्क में उपज कर कलम की नोंक के रास्ते सफेद पन्नों पर बिखरे आखर मुट्ठी से फिसलती रेत ही तो हैं। काल से परे ये शब्द ब्रह्म वैचारिक...More
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कवि, कहानीकार, ग़ज़लकार

Publish Date : 17 Oct 2022

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Chapter : 17


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Pages : 63

ISBN : 9789356003637

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