अनादि काल से मां नर्मदा भारतीय संस्कृति में जीवनदायिनी शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है। उनके तटों पर सभ्यता पली-बढ़ी, ऋषियों ने तपस्या की और साधकों ने आत्मा का मार्ग खोजा। मां नर्मदा केवल नदी नहीं बल्कि साक्षात चेतना है। उनके जल में स्नान करना, उनके तट पर ध्यान लगाना और उनके प्रवाह के साथ चलना, यह सब आत्मशुद्धि का माध्यम है। इसी नर्मदा की परिक्रमा सनातन परंपरा में मोक्षदायिनी यात्रा कही जाती है। यह जीवन का ऐसा दुर्लभ अवसर है, जिसमें हर कदम भक्ति, तप और अनुभव से भर जाता है। परिक्रमा का अर्थ केवल एक भौगोलिक चक्कर नहीं है। यह तो आत्मा की परिक्रमा है। अपने भीतर के अहंकार, भय और मोह के चक्कर काटते हुए उन्हें त्याग देने का अभ्यास।