यह कविता संग्रह “शिखर की स्त्री” नारी की यात्रा का जीवंत चित्रण है — परंपरा की परछाई से लेकर शिखर तक पहुँचने की कहानी। इसमें स्त्री की पीड़ा, संघर्ष, शिक्षा, जागृति, स्वाभिमान, और नेतृत्व की हर परत खुलती है। वह घर की सीमाओं से निकलकर समाज की दिशा बदलने वाली शक्ति बनती है। कभी चुप रहने वाली स्त्री अब अपनी आवाज़ और पहचान से इतिहास लिखती है। यह रचना बताती है कि असली ऊँचाई तब है जब स्त्री अपनी जड़ों से जुड़ी रहकर दूसरों के लिए राह बनाती है — वही है “शिखर की स्त्री”, जहाँ से नई कहानियाँ जन्म लेती हैं।