मां से बेहतर किसी को भी नहीं माना जाता।
उस के लाद ,प्यार ,दुलार के लिए उन के किरदार के लिए जितना भी लिखे कम ही होता है।
"खुदा का दूसरा रूप हर मा,
ममता की गहरी झील है मा,
वो घर किसी जन्नत से कम नहीं
जिस घर में खुदा कि तरह पूजी जाति हो मां।"
मा वो ममता का सागर है जिस में से वों दो तीन बंद अपने बच्वो के लिए बहा भी दे तो सागर कभी खाली नहीं ही सकता।
मा के लिए कोई दिन स्पेशल नहीं होता , हर दिन अपने बच्चो के लिए स्पेशल बनती है मां।