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प्रतीकों की चादर

प्रतीकों की चादर


उमेश सत्य रिषद (एम.एम.पाठक)
उमेश सत्य रिषद (एम.एम.पाठक)
Poem
dr.sonil Sumit misra - (03 September 2020) 5
एकदम सटीक। धर्म की चादर, मजहब की चादर और पार्टियों की चादर तले ये देश दबता जा रहा है।

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इतिहास-संस्कृति और साहित्य बिषय में बिशेष रूचि---, - सिविल सेवा से संबंधित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं में अध्यापन कार्य

Publish Date : 31 Aug 2020

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