dr.sonil Sumit misra - (02 September 2020)सटीक कटाक्ष है ये। आजकल वैसे भी इंसानों में इंसानियत बची नही है।
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विनोद पाराशर - (01 September 2020)आगे बढ़ने के चक्कर में, मानव-मूल्य बहुत पीछे छूट गये हैं।हर रिश्ता जरूरत के हिसाब से तय होता है,जो बहुत ही दुःखद है। सुंदर कविता!💐