गिलहरियाँ गौरैयाँ नहीं होतीं

गिलहरियाँ गौरैयाँ नहीं होतीं


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Poem
उमेश सत्य रिषद (एम.एम.पाठक) - (02 September 2020) 5
सुंदर रचना--सबकी अपनी अपनी प्रकृति होती है❤️❤️

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यथार्थ की मिट्टी में ठीकठाक अनुभूति और कल्पना मिलाकर कुछ अपने मन की कुछ आपके मन की छन्न से कह दूँ तो कुछ बात बनें .......

Publish Date : 02 Sep 2020

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