આખિર બિલાખી કે. જે. સુવાગિયા - (29 September 2020)नारी जहां चाहती है अशरीरी प्रणय सुख, कल्पना पुरुष का सूक्ष्म मधुर सहवास!.. वहां पुरुष चाहता है ऐहिक प्रणय क्रीड़ाओं में लिप्त चरम सुख की प्राप्ति!... स्त्री के सुंदर कमनीय कोमल अंगों में समा कर खो जाने की इच्छा रखने वाला पुरुष यह समझ ही नहीं पाता कि स्त्री भी अपने प्रेमी पुरुष से कुछ चाहती है, जो इस दैहिक व्यापार की दुनिया के पार का कुछ हो सकता है!... तो वह अपने कल्पना लोक में विहरने लगती है और एक ऐसा कल्पना पुरुष ढूंढती है, जो ईह लोक से पर है, देहिक व्यापारों से पर है!... वह पुरुष बिना कहे ही वह सब कुछ समझता है, जो यह स्त्री चाहती है!... फिर वह शरीर से तो इस लोक के पुरुष से समर्पित रहती है, लेकिन मन से, ह्रदय से और पारलौकिक पुरुष के प्रणय में खोई हुई रहती है!... यह है विवाहित प्रेयसी!। ...(नोंध: यहां पति की शारीरिक चेष्टाओं से खीझकर, दूसरे पुरुष में शरीर सुख ढूंढनेवाली स्त्री का उल्लेख नहीं है।)