कुछ भूली यादें
कुछ बिखरे ख्वाब
यही है मेरी दास्तां....
Book Summary
इस कविता में एक स्त्री और नदी के प्रेम में समरसता दिखाती है नदी को सिंधु से मिलने की बेचैनी है वहीं स्त्री पति के मोहपाश में बांधी गयी है...... स्त्री प्रेम के सिंदूरी रंग में निखर कर नदी सरीखी नील वर्ण हो गयी है अर्थात नदी का वह रूप जब वह अपने सबसे निर्मल रूप में होती है।