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बनारसी मन

बनारसी मन


भरत (राज) भरत (राज)

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में आकर बनारस,बनारसी बन जाऊ, मां गंगा के चरणों का दास बन जाऊ, मन मेरा भी तैरता रहे इस दुनिया में, जैसे तेर रहे दीप मां गंगा की गोद...More
Article & Essay Poem

Publish Date : 22 Jul 2024

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