शीर्षक :- भोलेशंकर
जटा जूट वाले गौरी पति परमेश्वर हो,
कामदेव के शत्रु कालजयी अभ्यंकर हो।
तुम गिरीश कैलाश के वासी केदारनाथ,
घोर रोष में नेत्र खुले तो प्रलयंकर हो।
तुम ही रचनाकार जहां के मनुज अंदर हो,
तुम ही सदाशिव मंगलकर्ता गंगाधर हो।
सत्यम शिवम सुंदरम दयानिधि शुभंकर हो,
तुम ही सामप्रिय स्वरमयी अपार समुंदर हो।
दक्ष के यज्ञ को नष्ट किये दक्षाध्वरहर हो,
धर्म न्याय के रक्षक बाबा श्रेष्ठ क्षेमंकर हो।
तुम विष्णु वल्लभ जटा रखे जटाधर हो,
शशि शेखर मंगलकर्ता तुम गंगाधर हो।
त्रिपुरारि प्रिय जगत पिता घुश्मेश्वर हो,
हे भूतपति विश्वनाथ अखिलेश्वर हो।
पाशविमोचन पशुपति मृत्युंजय शंकर हो,
हर हर महादेव दयानिधि परमेश्वर हो।
*उषा श्रीवास वत्स*