गज़ल :- चाहत
फरिश्तों की तरह नाज करूँ ऐ यार चाहत में तेरी।
करीब आकर देखा है रूह से मोहब्बत तेरी।।
जाने क्या बात है आँखो का एक इशारा जान-ए-जहाँ।
इश्क में आशिक हम हो गए देख के सूरत तेरी।।
झुकी-झुकी है नजरें जचेगा न कोई रंग-ओ-जमाल।
पलकों ने छूकर देखा तो पसंद आ गई रंगत तेरी।।
तेरे हाथों को चूम लूँ या निगाहें शुक्रिया अता करूँ।
दिल में करार आ जाए हो अगर चश्म-ए-इनायत तेरी।।
तमन्ना रखते हैं सुबह की तासीर हो जाए तो क्या।
किस्मत से शीशा-ए-दिल में उतर आई है सूरत तेरी।।
मुस्कुराके साथ तेरे खड़ा हूँ निभा जाऊँगा हर रस्म।
खुशियों की सौगात लगी मुझको मोहब्बत तेरी।।
उषा श्रीवास *वत्स*