शीर्षक:- नेह
तुझसे हार के जीत गई मै हर जंग प्रिये,
मधुर स्नेह की बूंदो से भर गई हर रंग प्रिये।
ऑंखो ही आँखों में बातें होती दिल के,
नेह नयन से झरते है ऐतबार ना अब मंग प्रिये।
मधुर प्रेम का बहता झरना लगे चाँदनी रात,
उर तरंगे हिलोर रही माँगू अब के संग प्रिये।
तेरा चेहरा इस मन को हद से ज्यादा भाता,
एक झलक से मन ना भरता ना कर तंग प्रिये।
एक नजर देख तुझे दिल में कसक उठा,
जन्मो का नाता है झूठे रिश्तों का ना प्रसंग प्रिये।
उषा श्रीवास *वत्स*