शीर्षक :- तिरंगा
तु जिस्म भी है और जान भी है
जिगर तिंरगा वतन का अभिमान भी है,
ना झुका है कभी तु ना झुकेगा कभी
हिन्दुस्तान की सबसे ऊंची शान है।
जो किये तिलक वतन मुहब्बत के
मिटे उन वीर शहादत की पहचान है,
तब-तक लहरायेगा सलामें इश्क़ तु
जब-तक जमीं और आसमान है।
हर इंसान फूले फले तेरी छांव तले
ना कोई हिन्दू ना कोई मुसलमान है
जिस जिस लहू ने सींचा है तुझको
वह कोई कौम नही पूरा हिन्दुस्तान है।
वह जवां जिस्म लिपट गया तुझपे
मृत्यु का भय नही हिन्द शुभविधान है,
गर्व करे हैं गर्दिश में बेला महासृजन की
मातृभूमि के वास्ते नित तन मन कुर्बान है।
*उषा श्रीवास वत्स*