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दिल के मंदिर तक

दिल के मंदिर तक


भरत (राज) भरत (राज)

Summary

तड़पता तुझे देखकर , आरजू मैने भी की, कुछ पल ही सही, अपने सपने लुटा दु तुझपे। और बढ़ गई होगी महक गुलाब की, जब उसने भी छुआ होगा तेरे होठों...More
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अकरम आज़ाद - (29 August 2024) 4
दिल एक मन्दिर है, और प्रेम है पूजा प्रिय को प्रियतम के सिवा भाए न दूजा

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अनामिका वाघ - (27 August 2024) 5
वाह्ह्ह्ह अतिसुंदर भाव 👌👌❤️

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Publish Date : 24 Aug 2024

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