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चुभन

चुभन


Sanjay Kaushik Sanjay Kaushik

Summary

जीवन के विभिन्न अनुभवों में से पीड़ा जन्म के साथ ही जुड़ जाती है । और उसके पश्चात ऐसे अनेकानेक अनुभवों से हम गुजरते हैं, और रह जाती है...More
Poem
Dinesh Mishra - (21 September 2024) 5
🙌

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Sunita Sharma - (12 September 2024) 5
Ye sabhi ke jivan me h Aapne bahut acha prstut kiya he apni kalam dwara.

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Sanjay Sharma - (11 September 2024) 5
बहुत खूब कहा है चूभनअपनों से मिलती है

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Ravindra Kumar - (09 September 2024) 5
Honest confessions

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Mithilesh Joshi - (08 September 2024) 5
Esa lagta hai ki kaviraj ki kalam aaj sab ke man ki baate likh rahi hai.

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Meera Parihar - (08 September 2024) 5
सचमुच भीष्म से उनके व्यक्तित्व के अनुरूप कभी भी यह अपेक्षा नहीं थी कि वे चीर हरण के वक्त शांत बने रहेंगे या राजधर्म का हवाला देंगे। राज तो सभी कौरव देख ही रहे थे।

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Pradeep Shukla - (07 September 2024) 5
👌👏यह कविता जीवन की अनिवार्य पीड़ा और अंतहीन संघर्षों की गहराई को बेहद प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती है। बहुत सुंदर रचना, जीवन की गहन सच्चाइयों को छू लेने वाली!

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Freelance Professional Writer

Publish Date : 26 Aug 2024

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