Dinesh Mishra - (29 August 2024)कविता एक भक्त की आत्मस्वीकृति और कृष्ण से क्षमा की प्रार्थना को व्यक्त करती है। भक्त अपने दोषों और कमजोरियों को स्वीकारते हुए, भगवान से सुदर्शन चक्र द्वारा अपने पापों का नाश करने की याचना करता है। कविता भावपूर्ण और भक्तिमय है। संजय भाई को बहुत बहुत साधुवाद ।
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ऋजुता देशमुख - (27 August 2024)बहुत सुंदर प्रस्तुती
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किरन सिहं - (27 August 2024)बहुत बढ़िया अपने दोषो को स्वीकार करना बहुत हिम्मत काम होता है सच कहा आपने इतने ही निर्मल मन से अपने दोषों को स्वीकारते हुए ईश्वर पापों को दोषों को मिटाकर निर्मलता प्रदान करने की आर्दता से पुकार बहुत अच्छा लिखा आपने
कृष्ण की भक्ति व प्रेम में आकण्ठ डूब जाने से पूर्व स्वयंबोध एवं निर्मलीकरण नितांत आवश्यक है, अन्यथा स्थूल से परे न देख पाएँगे । इसी भाव में पगी एक कृष्णभक्ति काव्य रचना । जय श्री कृष्ण ।