खूब है,बहुत है जबरदस्त है,
रूह को लूटने वाला का खजाना।
दुनिया बनावटी है फिर भी मशगूल है,
एक दूसरे के बनने और बनाने में।
फिकर अब किसको किसकी है,
जिसे जो मिला लुट किया हैवानों ने।
लूटने लुटाने का देखो कैसा चलन आया,
आज में तेरी हु कल में किसी ओर का हु।
कलयुग अभी बच्चा है कहते चुना है,
ना जाने कैसा युग होगा जब कलयुग जवा होगा।
हीरे, मोती,जेवरात सब का वजन कम होगा,
एक दिन इंसान तेरी समड़ी का भी मोल होगा।
जब जवा कलयुग खोलेगा अपना खजाना,
तब तेरी रूह खून से लथपथ मिलेगी खजाने में।
भरत (राज)