हे वक्त, तेरा बदलना ,
कल आज और कल बन जाता,
तू मुखर है तो में मुखर हू,
जो तू बदला मानो मेरी रूह बदली।
तू ठहर तो सही चाहे हो अच्छा या बुरा,
गुजरना है तो जरा धीरे से गुजर,
यू अश्क तो ना गिरा इंतजार में,
तेरे बदल जाने से बदला मेरा संसार ।
तेरा तो क्या ही जाता है,
कभी तू शांत ,कभी तूफान है,
मेरी प्रीतम का रूप सिर्फ एक था,
वक्त तेरे और कितने रूप है।
उसने नहीं संभाला, तूने कहा संभाला,
जिस राह चला सफलता साथ चली तेरे,
जिसने सोचा कुछ पल का आराम ,
खाई है उसने दर दर की ठोकरें
जो कल था उससे बेहतर आज बना दे ,
जो आज है उससे बेहतर कल बना दे,
कल आज और कल को तू भी छोड़,
बस मेरा तो तू आज बना दे।
लव यू जिन्दगी,????
भरत (राज)