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कल आज कल

कल आज कल


भरत (राज) भरत (राज)

Summary

हे वक्त, तेरा बदलना , कल आज और कल बन जाता, तू मुखर है तो में मुखर हू, जो तू बदला मानो मेरी रूह बदली। तू ठहर तो सही चाहे हो अच्छा या...More
Poem Romance Story

Publish Date : 02 Sep 2024

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