बारुद तो रखा हुआ था,
चिंगारी तुमने दिखाई है।
सो रहे जवान पिता की,
बेटी ने ही नींद उड़ाई है।।
तूने साहस न दिया होता,
हम तो बेखबर थे खुद से।
मेरी जामवंत बनके तुमने,
शक्ति की याद दिलाई है।।
शुक्रिया अदा करुं कैसे,
लाडली बिटिया तुम्हारा।
भूल चुके जिस हूनर को,
तुमने महिमा दिलाई है।।
धन्य धन्य है तेरी जननी,
कोख में जगह दिखाई है।
धन्य धन्य है तू भी बेटी,
सोई आशा तूने जगाई है।।
राज कुमार खाती
" मदहोश "
रायपुर छत्तीसगढ़
(प्रिय उषा बिटिया को समर्पित)