शीर्षक :-आत्मशक्ति
मशाल बन अब जलना होगा,
पंथ दुरुह है पर चलना होगा।
नही आयेगा मधुसुदन कोई,
रणविजय स्वयं करना होगा।।
डरना नही तुमको देखकर भीर
सूरज बनकर अंधेरों को चीर।
जो पाना है ग़र निश्चिय लक्ष्य,
निडर बनो बढ़े चलो शूरवीर ।
झुका है हमेशा जो खड़ा नही,
साहस से कुछ भी बड़ा नही।
तकदीर बनी कर्मवीरों की दासी,
पहुँचा है शिखर जो चढ़ा सही।।
सुझबुझ से सीखो ध्येय चुनना,
पड़े न व्यर्थ सोच से सिर धुनना
जीवन में संकट कितने भी आए,
कर्तव्य पथ आता जिन्हें गुनना।।
यश कीर्ति से बढ़ेगा नाम तुम्हारा,
बुलँदी पर होगा गुमान तुम्हारा।
भुला बातें कल की सब कड़वी,
उदाहरण बनेगा ज्ञान तुम्हारा।।
*उषा श्रीवास वत्स*