शीर्षक :- निज ध्येय
तेरी संघर्ष प्रबल
तेरी सोच सरल
तु है नदी सी चंचल
धारा तेरी कलकल
तू ख़ुद ही अविरल
तू खुद ही अविचल
तू राह बनाता चल
तू दिशा दिखाता चल
दुर्गम पंथ दुरस्त कर
चलेगा इसी पथ पर
जनविप्लव एक दिन
बस संकल्प रख अटल।
हर कंकर सेतु बनाता चल
चाहे पीना पड़े गरल
रहना हमेशा निश्छल
सौ दीया बनकर जल
सुत पथ कर उज्ज्वल
तेरी राह पर नवयुवक
निश्चित ही चलेंगे कल
पूर्ण होंगे उद्देश्य सकल।
प्रश्न उठते हैं, उठते रहेंगे
व्यंग कसते हैं, और कसेंगे
कठिनाईयों से ना हो विचल
राही है तो फ़िर चलता चल।
कदाचित मिलेगा फल
धीर धर,ना होना विकल
पराधीन नही परिश्रम
निज ध्येय याद रहे हरपल।
*उषा श्रीवास वत्स*