• X-Clusive
हाथ नहीं छोड़ना था

हाथ नहीं छोड़ना था


Sanjay Kaushik Sanjay Kaushik

Summary

जीवन यात्रा के विभिन्न पड़ावों में अनेक सह पथिक मिलते हैं। उनमें छिपे मित्र या शत्रु को पहचानना सहज नहीं। कब कौन कहाँ घात कर बैठे! हाँ,...More
Poem
Prafulla Mishra - (14 November 2024) 5
खुबसूरत शब्द

1 1

Mithilesh Joshi - (07 October 2024) 5
Janm se mrutyu tak ke jivan ke anek roop. Ekant hi satya hai😊

1 1

Pradeep Shukla - (26 September 2024) 5
इस कविता में जीवन के अनुभवों और मानवीय संबंधों की गहराई को बेहद सुंदर और सटीक शब्दों में व्यक्त किया गया है। मित्र-शत्रु की पहचान और समय के बदलते खेल को दर्शाते हुए इसकी रचना प्रभावशाली है। संक्षेप में कहें तो, यह कविता संवेदनशीलता और यथार्थ का अद्भुत मिश्रण है। Great Sir

1 1

Hemant Sharma - (24 September 2024) 5
संसार में कुछ भी स्थायी नहीं होता, बहुत ही सुंदर !!! 🙏🙏

1 1

अतुल अग्रवाल - (24 September 2024) 5
शानदार..!🌹

1 1

Dev Shakya - (23 September 2024) 5
बहुत अदभुत रचना है!

1 1

Sanjay Sharma - (22 September 2024) 5
बहुत सुंदर और गहराई से लिखा गया पोस्ट! जीवन की सच्चाई को बहुत अच्छे से व्यक्त किया है।

1 1

View More

Freelance Professional Writer

Publish Date : 22 Sep 2024

Reading Time :


Free


Reviews : 10

People read : 51

Added to wish list : 1