Ajay Nidaan - (01 October 2025)सुन्दर शब्दों का संयोजन के साथ सटीक भावों को प्रदर्शित करती हुई रचना आपकी सार्थक लेखन जी
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सरिता काव्या" - (10 September 2025)बहुत सुंदर कविता है आपकी शब्दों का चयन और भावनाओं की सरिता का प्रवाह है, हृदय स्पर्शी लेखन है आपका इस कविता में उत्कृष्ट सृजन🎉🥰🙏
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Anand Kumar choubey - (01 September 2025)It sounds like you’re reflecting on something emotional—maybe a situation where you had to leave someone or something, but didn’t truly want to.
जीवन यात्रा के विभिन्न पड़ावों में अनेक सह पथिक मिलते हैं। उनमें छिपे मित्र या शत्रु को पहचानना सहज नहीं। कब कौन कहाँ घात कर बैठे! हाँ, वो ये कर एक ही बार सकेगा।
और समय बदलने पर कहीं ब्याज सहित वसूली ना हो जाए!