हर रोज इंस्टापर, तेरा रील जो लहराए
हर रात फोटो की, बारात ले आए
मैं इंस्टापर देखता हूँ, तेरी ही रील आती है
एक ठुमका ठुमका सा, आवाज लाती है
मेरे मोबाईल कि रींग भी, तेरे गीत बजाती है
रील रील ...
कल रीलको देखा था, मैने अपने इंस्टा में
जैसे कह रही थी तुम, मुझे बाँध लो कामेंट में
ये कैसा रील है, ये कैसे पोस्ट हैं
बेगाने हो कर भी, क्यूँ लगते अपने हैं
मैं सोच मैं रहता हूँ, देख देख के कहता हूँ
रील रील ...
तुम सोचोगी क्यूँ इतना, मैं तुमको फालो करूं
तुम समझोगी दीवाना, मैं भी इंस्टा करूं
इंस्टावालो की ये बातें, इंस्टावाले जानते हैं
इंस्टा में क्या मज़ा है, इंस्टाने जानते हैं