शीर्षक :- कदम बढ़ा
अंधियारा दूर भगा सूरज चमका, यह जग तेरा हो जाएगा।
छोड़ के आलस वक्त रहते जग जा,समय तेरा भी आएगा।
परिहास बहुत किया सभा ने, रघुवर के प्रत्यंचा चढ़ाने पर।
पौरूषता भी सिद्ध किया अपना, शिव धनुष तोड़ के समय आने पर।
ऊँचा रख मनोबल बढ़ता चल, कमाल तेरा दिख जाएगा।
धीर धर तू कर्म किए जा, इतिहास भी लिख जाएगा।
कर जोड़ विनती की थी रघुनंदन ने,पथ की थी अभिलाषा।
भयभीत हो उठा सिंधु जब, धनुषधर वनवासी बोले उसकी भाषा।
होश में रहकर जोश दिखा, निगहवान हो जाएगा।
फल की चिंता ना कर,स्वर्ण विहान हो जाएगा।।
हुए ध्वस्त अभिमानी अड़ें जो थे कनक ग्रहवासी।
बने कर्म से पुरूषोत्तम,जो थे साधारण वनवासी ।।
तू भी उत्तम कर्म किए जा उर तेरा विश्रृंखल हो जाएगा।
निश्चय हो अनवरत परवशेष बहा, वक्त तेरा भी आएगा।
*उषा श्रीवास वत्स*