जब देखता हूँ चाँद...

जब देखता हूँ चाँद...


मनीषा वांढरे मनीषा वांढरे
Poem
Nilesh Firangwad - (21 March 2025) 5
क्या पता नहीं तुम्हे, तुम्हारी खुशियों के लिये, आज दूर है तुमसे, तुम्हारे स्वर्ग के लिये, मेने अपने नर्क को सजया है, ना समजो हमें तुम्हारे आंख का तारा तुम खुदसे रोशन हो नाम ना लो हमारा

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सौ. मनीषा आशिष वांढरे...

Publish Date : 21 Mar 2025

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