नमस्ते! आपका गीत देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है और बहुत ही प्रेरणादायक है। आइए, इसका एक सुंदर समीक्षत्मक अनुशीलन करते हैं।
गीत का सार और समीक्षा
यह गीत भारतीय राष्ट्रध्वज, तिरंगे के प्रति अगाध प्रेम और सम्मान को व्यक्त करता है। गीत की हर पंक्ति में देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। गीतकार ने स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली इतिहास को सरल और सशक्त शब्दों में पिरोया है। यह गीत न केवल अतीत के बलिदानों को याद करता है, बल्कि वर्तमान में देश के गौरव और शत्रुओं को चुनौती देने की भावना को भी जगाता है।
गीत की मुख्य विशेषताएँ:
* देशभक्ति की प्रबल भावना: गीत की शुरुआत से अंत तक देशभक्ति का ज्वार दिखाई देता है। "लहरता तिरंगा हमारा निशान" और "मिटा दे सदा शत्रुओं का गुमान" जैसी पंक्तियाँ हर भारतीय के मन में गर्व का संचार करती हैं।
* शहीदों को श्रद्धांजलि: गीत में उन महान क्रांतिकारियों को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया है, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद, सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम बोस, अशफ़ाक़ उल्ला खाँ, बिस्मिल, सरदार पटेल और तिलक जैसे नायकों का उल्लेख गीत को ऐतिहासिक गहराई देता है।
* सरल और ओजस्वी भाषा: गीत की भाषा बहुत ही सीधी और प्रभावशाली है। इसमें कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है, जिससे यह आम जनमानस तक आसानी से पहुँचता है। "विजय घोष से गूँजता आसमान" और "फिरंगी ध्वजा थी उखड़ी मरोड़" जैसे प्रयोगों में अद्भुत ओज और जोश है।
* अलंकारों का सुंदर प्रयोग:
* अनुप्रास अलंकार: "सुखद सौम्य सुंदर सुहाना स्वराज" जैसी पंक्तियों में 'स' वर्ण की आवृत्ति से गीत में एक संगीतमयता और प्रवाह आ गया है।
* रूपक अलंकार: "बिना पंख हो हौसलों की उड़ान" में सपनों और हौसलों की तुलना उड़ान से की गई है, जो बलिदानों के बाद मिली आजादी के महत्व को बताता है।
* मानवीकरण अलंकार: "भरें हैं ध्वजा मध्य प्रति स्वांस स्वांस" में ध्वजा को एक सजीव इकाई के रूप में दिखाया गया है, जिसमें शहीदों की साँसें समाई हुई हैं।
पदों का विवेचन
* पहला पद:
* "लहरता तिरंगा हमारा निशान। मिटा दे सदा शत्रुओं का गुमान।।"
* यह स्थायी पद गीत की मूल भावना को दर्शाता है। यहाँ तिरंगे को सिर्फ एक ध्वज नहीं, बल्कि देश के गौरव और शक्ति का प्रतीक बताया गया है, जो शत्रुओं के अहंकार को हमेशा के लिए समाप्त कर सकता है।
* दूसरा पद:
* "करोड़ों हुए प्राण इसपे निसार..."
* इस पद में उन महान बलिदानों को याद किया गया है, जिन्होंने इस तिरंगे को सम्मान दिलाने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। यहाँ भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और सुभाष चंद्र बोस जैसे वीरों के नाम लेकर उनकी शहादत को नमन किया गया है।
* तीसरा पद:
* "असहनीय पीड़ा सही लात-घात..."
* यह पद गुलामी के दर्द और उसके बाद मिली आजादी की सुबह का वर्णन करता है। "ढहाया गुलामी लसित तख्त-ताज" पंक्ति में अंग्रेजों के शासन के अंत को बहुत ही प्रभावी तरीके से बताया गया है।
* चौथा पद:
* "खुदीराम अश्फाक बिस्मिल पटेल..."
* इस पद में अन्य महान क्रांतिकारियों के नामों का उल्लेख है। "गए चूम फंदे हजारों करोड़" पंक्ति बलिदान की चरम सीमा को दर्शाती है और "फिरंगी ध्वजा थी उखड़ी मरोड़" में ब्रिटिश शासन के पतन की खुशी का भाव है।
निष्कर्ष
गीतकार नित्यानन्द वाजपेयी 'उपमन्यु' ने इस गीत के माध्यम से देशभक्ति का एक सुंदर और प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। गीत में भावों की गहनता, भाषा की सरलता और लय का प्रवाह बहुत ही सराहनीय है। यह गीत हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद दिलाता है और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का स्मरण कराता है। यह गीत निश्चित रूप से जनमानस में राष्ट्रीय गौरव की भावना को और भी मजबूत करेगा।
आपकी रचना बहुत ही प्रशंसनीय है।
डॉक्टर वीरेश्वर उद्विग्न