AKASSH YADAV - (15 May 2023)अहा....दिदी ये आनंदित कर गया। आखिरकार "उजड़ी हुई औरतें" पढ़ कर मैं भी एक समीक्षक बन ही गया। आप की आने वाले तमाम उपन्यासों पर मैं इसी प्रकार अपनी समीक्षा रूपी पुष्प अपनी अंजुरी में भर कर आजीवन अर्पित करते रहना चाहूंगा। इस स्नेह व आदर के लिए नमन करता हूँ आपको🙏🏻🙏🏻🙏🏻