पढ़ना, जरा सोचना : समीक्षा

पढ़ना, जरा सोचना : समीक्षा


Bahadur Patel Bahadur Patel
Article & Essay Book Review
Lalit Pharkya - (17 November 2024) 4
सोशल मीडिया के इस दौर में पुस्तकों का पठन-पाठन अतिसीमित हो गया है। साहित्यिकार जिस शिद्दत और मेहनत से रचना लिखता है। उसका पठन कुछ साहित्य रसिक ही करते होंगे। साहित्य से यह दुराव हमें अपनी भाषा, संस्कृति आदि से विमुख कर देगा।

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ऋचा दीपक कर्पे - (17 November 2024) 5
बहुत ही सुन्दर समीक्षा ....

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Publish Date : 17 Nov 2024

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