यथार्थ की मिट्टी में ठीकठाक अनुभूति और कल्पना मिलाकर कुछ अपने मन की कुछ आपके मन की छन्न से कह दूँ तो कुछ बात बनें .......
Book Summary
हर शब्द की अपनी ध्वनि होती और अपने अर्थ फिर भी वे समता से दूसरे के समक्ष प्रस्तुत होते हैं ।शब्दों को बोलने से पहले सोचो और किसी पर धाक जमाने के लिए कुछ बोलो तो सबसे पहले अपने ऊपर भी लागू करो ।