अरविन्द कुमार श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जनपद से आते हैं और अपने पोर्टल शब्दलेख डॉट कॉम (shabdlekh.com) पर कई प्रेरक तथा सामाजिक कहानियों, लेखों और कविताओं के लिखने हेतु जाने जाते हैं.रेडग्रैब बुक्स से 'महाभारत गौरव गाथा' शृंखला की यह पहली पुस्तक है. पूर्व में एक प्रेरणा प्रद पुस्तक...More
अरविन्द कुमार श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जनपद से आते हैं और अपने पोर्टल शब्दलेख डॉट कॉम (shabdlekh.com) पर कई प्रेरक तथा सामाजिक कहानियों, लेखों और कविताओं के लिखने हेतु जाने जाते हैं.रेडग्रैब बुक्स से 'महाभारत गौरव गाथा' शृंखला की यह पहली पुस्तक है. पूर्व में एक प्रेरणा प्रद पुस्तक "21वीं0 सदी में - डरें या लड़ें" प्रकाशित हो चुकी है, इसके अतिरिक्त साझा कहानी संग्रह 'पथिक', ‘किस्सागो जिंदगी' तथा लघुकथा संग्रह 'गुंजित मौन' एवं विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, तथा प्रेरणा प्रद लेख और कहानियाँ प्रकाशित हैं.शीघ्र ही रेडग्रैब बुक्स से ही कहानी संग्रह 'ट्रेन वाली लड़की' प्रकाशित होने वाली है.श्री श्रीवास्तव ‘अर्थशास्त्र’ एवं ‘हिन्दी साहित्य’ में एम0 ए0 होने के साथ - साथ निवेश सलाहकार भी है।
Book Summary
स्टेशन के बाहर अंधेरा तो था ही पुरी तरह सन्नाटा भी था केवल एक दो कुत्तों के भोकने की आवाजे आ रहीं थे वह भी दूर से, रेलवे स्टेशन नगर से दूर था किसी प्रकार अपना सामान लिये वह धीरे - धीरे आगे बढ़ रहा था, सहसा किसी बिल्ली के रोने की आवाज सुन कर वह चौंक तेजी से आगे बढ़ने के उसने कदम उठाये तो पर सामान के भरी होने के कारण उसे पूरी सफ़लता नहीं मिल सकी अचानक से उसका एक पैर थोड़ी गहरी नाली में पड़ गया, बिल्ली के रोने की आवाज सुनकर ही वह डर तो गया ही था और अब नाली में पैर पड़ने से उसका डर दूना हो गया था परन्तु डर को अपने ऊपर वह भरी होने देना वह नहीं चाहता था किसी प्रकार अपने आप को सभाला अपने पैरों को एक दो बार झटका हनुमानजी का नाम मन ही मन लिया और किसी तरह आगे चलने लगा अभी कुछ ही कदम वह चला था कि सामने लगे हुए नीम के पेड़ पर कोई हलचल हुई सरसराहट की एक धीमे आवाज उसने सूनी चमकती हुई दो आँखों को देखा जो उसी की और घूर रहीं थीं अभी वह अनुमान लगा ही रहा था कि सामने सड़क पर बन्दरों का एक झुण्ड दिखाई दिया जो इधर - उधर उछाल कूद कर रहे थे