काया-परकाया

काया-परकाया


सुरेन्द्र  मनन सुरेन्द्र मनन

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भीतर अंगड़ाईयाँ लेकर उठ रही उस काया का पहले-पहल आभास उसे तब हुआ जब उसका शरीर तरह-तरह के इशारे करके उसे कुछ बताने लगा. पहले वह चौंकी,...More
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फ़िल्मकार, कहानीकार, सम्पादक l प्रकाशित पुस्तकें : सीढ़ी (उपन्यास), उठो लच्छमीनारायण, कल की कतरन (कहानी संग्रह ), साहित्य और क्रांति (लू -शुन के लेखन पर केंद्रित ), 'अहमद अल -हलो, कहां हो? '(यात्रा संस्मरण ) l अनेक अंतराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में फ़िल्में प्रदर्शित और सम्मानित l

Publish Date : 08 Aug 2020

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