एक मौत ने नान्सी के घर का माहौल बदल दिया, अंकल आन्टी का झगड़ा अब नहीं होता। एक साथ यह लोग चर्च भी नहीं जाते। एक दिन नान्सी दौड़ते-दौड़ते आई और मुझे आने के लिए दूर से इशारा किया। मैं और नान्सी अपनी प्यारी सी जगह, जंगल के एक बड़े पत्थर पर जा बैठे। नान्सी हाँफ रही थी। मैंने पूछा, ‘‘क्या हुआ नान्सी?’’
नान्सी ने बताया कि उसके डैडी ने माँ को डिवोर्स पेपर दिए हैं। सुनकर मेरा मुँह हैरानी से खुल गया। मैंने कभी इस तरह की बात सोची भी नहीं थी। नान्सी ने मुझे धीरे से धक्का दिया, ‘‘सुन रहे हो?’’
मेरे मुँह से केवल इतना ही निकल सका, ‘‘यह कैसे हो सकता है?’’